बजरेश्वरी देवी मंदिर
बजरेश्वरी देवी मंदिर (कांगड़ा मंदिर)
बजरेश्वरी माता मंदिर, जिसे वज्रेश्वरी देवी मंदिर, वज्रेश्वरी मंदिर या सरल रूप से कांगड़ा मंदिर / कांगड़ा देवी मंदिर भी कहा जाता है, भारत के सबसे पूजनीय शक्ति पीठों में से एक है। यह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के ऐतिहासिक शहर कांगड़ा (प्राचीन नागरकोट) में स्थित है तथा देवी वज्रेश्वरी (दुर्गा का एक उग्र रूप, जिसका अर्थ “वज्र की स्वामिनी” है) को समर्पित है। इसे 51 शक्ति पीठों में गिना जाता है, जहां देवी सती का बायां स्तन गिरा माना जाता है।
पौराणिक महत्व
शक्ति पीठ होने के कारण मंदिर की उत्पत्ति देवी सती के आत्मदाह तथा भगवान शिव के तांडव नृत्य की कथा से जुड़ी है। शिव को शांत करने के लिए विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में काट दिया—बायां स्तन यहां गिरा, जिससे दिव्य स्त्री शक्ति का प्रकटीकरण हुआ। एक अन्य कथा पांडवों से जुड़ी है: वनवास के दौरान पांडवों को दुर्गा देवी का स्वप्न आया, जिसमें उन्होंने नागरकोट में मंदिर बनाने का निर्देश दिया ताकि महाभारत युद्ध में सुरक्षा और विजय प्राप्त हो। “वज्रेश्वरी” नाम देवी के एक राक्षस को वज्र से वध करने से आया है।
इतिहास
एक समय भारत के सबसे धनी मंदिरों में से एक (हीरे, सोना और मोती के लिए प्रसिद्ध), इसे बार-बार लूटा गया। महमूद गजनवी द्वारा कई बार लूटा गया (1009 ई. से शुरू)। फिरोज शाह तुगलक द्वारा नष्ट किया गया (1360 ई.)। सम्राट अकबर द्वारा पुनर्स्थापित। 1905 के विनाशकारी कांगड़ा भूकंप में पूरी तरह ध्वस्त। 1920 के दशक में दान (अमृतसर के सिख भक्तों सहित) से पुनर्निर्मित।
वास्तुकला और विशेषताएं
मंदिर में भव्य प्रवेश द्वार है जिसमें नागरखाना (ढोल घर), किलेबंदी वाली दीवारें तथा तीन गुंबद (परंपरागत शिखर के बजाय कुछ भागों में अनोखे) हैं। मुख्य देवी की पूजा गर्भगृह में पिंडी (पवित्र पत्थर रूप) के रूप में की जाती है। आंतरिक भाग में चांदी के अलंकृत द्वार, देवी-देवताओं की नक्काशी तथा भैरव और भक्त ध्यानु भगत के सहायक मंदिर हैं। चारों ओर प्रसाद बेचने वाली जीवंत बाजारें हैं।
त्योहार और दर्शन
नवरात्रि तथा मकर संक्रांति पर विशाल मेलों, लंगर तथा विशेष अनुष्ठानों के साथ भारी भीड़ उमड़ती है। दैनिक आरती तथा भेंट; मंदिर में दिन में दो बार निःशुल्क लंगर उपलब्ध है।
सर्वोत्तम समय: अक्टूबर-मार्च (सुहावना मौसम) अथवा त्योहारों के दौरान।
स्थान और पहुंच
कांगड़ा किले के निकट (बांगंगा तथा माझी नदियों को देखते हुए)।
धर्मशाला/मैक्लोडगंज से ~20 किमी।
निकटतम हवाई अड्डा: कांगड़ा (गग्गल, ~9 किमी)।
रेलवे: कांगड़ा स्टेशन (~3 किमी, नैरो-गेज)।
हिमाचल के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।